भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” ने वैश्विक स्तर पर चर्चा बटोरी है। दुनिया के कई देशों ने इस सैन्य कार्रवाई को पाकिस्तान के आतंकी हमलों के खिलाफ भारत का जायज कदम माना है। इस बीच, जर्मनी की राजधानी बर्लिन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जर्मन पत्रकार के सवाल का ऐसा जवाब दिया, जिसने उन्हें सोशल मीडिया पर फिर से सुर्खियों में ला दिया।
जयशंकर का जर्मन पत्रकार को करारा जवाबबर्लिन में जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने जयशंकर से पूछा कि क्या वे इस बात से निराश हैं कि जर्मन सरकार ने भारत के सैन्य अभियान का समर्थन नहीं किया। जयशंकर ने तुरंत जवाब दिया, “आपको गलत जानकारी दी गई है। 7 मई को हमारी कार्रवाई शुरू होने के दिन जर्मन सरकार के साथ हमारी सकारात्मक और समझदारी भरी बातचीत हुई थी।” उन्होंने आगे कहा कि जर्मन सरकार ने पहले भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दिखाई थी और जर्मन मंत्री ने स्पष्ट रूप से हर देश के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया था।
“भारत का आत्मरक्षा का अधिकार अटल”जयशंकर ने जोर देकर कहा, “अगर मैं कहूं कि मुझे अपने देश और लोगों की सुरक्षा का अधिकार है, तो दुनिया का अधिकांश हिस्सा इससे सहमत होगा। जर्मनी भी ऐसा ही करता है।” उन्होंने बताया कि जर्मनी ने न केवल पहले आतंकी हमलों की निंदा की थी, बल्कि 7 मई को और प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी जर्मन विदेश मंत्री ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया।
जर्मनी का भारत के साथ मजबूत रुखजर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने भी भारत के प्रति अपनी दोस्ती को रेखांकित किया। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर जयशंकर के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “प्रिय जयशंकर, आपकी शानदार यात्रा और हमारे बीच रचनात्मक बातचीत के लिए धन्यवाद। भारत और जर्मनी के कई साझा लक्ष्य हैं, चाहे वह सुरक्षा हो या अर्थव्यवस्था, और हम विश्व में शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करते हैं।”
जयशंकर की कूटनीतिक यात्रा का प्रभावजयशंकर नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की अपनी यात्रा के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, जो 24 मई 2025 को समाप्त हुई। उनकी यह यात्रा भारत के कूटनीतिक रुख को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण रही। ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में उनकी यह टिप्पणी न केवल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को रेखांकित करती है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत को भी दर्शाती है।
निष्कर्ष: भारत की दमदार आवाजऑपरेशन सिंदूर को लेकर जयशंकर का जवाब और जर्मनी का समर्थन दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अकेला नहीं है। जयशंकर की बेबाक और तर्कपूर्ण प्रतिक्रिया ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत न केवल अपनी सुरक्षा के लिए दृढ़ है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखने में भी सक्षम है।