नई दिल्ली। साल 2025 के पहले पाँच महीनों में कंपनियों ने शेयर बाजार में उतरने की तैयारियों को तेज कर दिया है। जनवरी से मई के बीच 85 कंपनियों ने अपने आईपीओ (शुरुआती सार्वजनिक पेशकश) के लिए सेबी में आवेदन किया, जो बीते दस वर्षों में सबसे ज्यादा है। यह तब है जब बाजार में उतार-चढ़ाव और निवेशकों की सतर्कता के कारण नई लिस्टिंग की रफ्तार धीमी रही है।
इन कंपनियों में टाटा कैपिटल, अर्बन कंपनी और केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट जैसी बड़ी नाम शामिल हैं। कंपनियों ने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया है, जो आईपीओ लाने से पहले जरूरी कागज़ी प्रक्रिया होती है।
हालांकि, इतने आवेदन आने के बावजूद अब तक सिर्फ 10 कंपनियों ने ही आईपीओ लाया है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 29 आईपीओ हो चुके थे। बाज़ार में कमजोरी, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और डॉलर की मजबूती जैसी वजहों से निवेशकों का रुख सतर्क रहा है।
इसके अलावा अमेरिका में ट्रंप की संभावित वापसी और उनके कड़े आर्थिक फैसलों की आशंका ने भी विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। मार्च का महीना ऐसा रहा जब एक भी आईपीओ नहीं आया, और अप्रैल में सिर्फ एक ही पेशकश हुई।
फिर भी कंपनियाँ हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठीं। मार्च और अप्रैल में 32 कंपनियों ने डीआरएचपी दाखिल किया, जिससे साफ है कि वे बाजार के स्थिर होते ही आईपीओ लॉन्च करने के लिए तैयार रहना चाहती हैं।
निवेश विशेषज्ञों का कहना है कि डीआरएचपी की तैयारी और मंजूरी में कुछ महीने लगते हैं, इसलिए कंपनियाँ पहले से योजना बनाकर चल रही हैं। जून तिमाही में आईपीओ की रफ्तार धीमी रह सकती है, लेकिन सितंबर तिमाही में ज़ोर पकड़ने की उम्मीद है।
इस हफ्ते बेलराइज इंडस्ट्रीज और बोराना वीव्स के आईपीओ बंद हो रहे हैं, जबकि अगले हफ्ते एजीस वोपैक टर्मिनल्स और श्लॉस बैंगलोर का इश्यू खुलेगा। इन चार कंपनियों का लक्ष्य 8,595 करोड़ रुपये जुटाने का है।