बलूचिस्तान न्यूज़ – चीन ने पाकिस्तान की पीठ में घोंपा ‘विश्वासघात’ का खंजर
जिस चीन को पाकिस्तान अपना सबसे करीबी और भरोसेमंद साथी मानता है, उसी ने अब पाकिस्तान की एकता और संप्रभुता को ठेंगा दिखा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने बलूच विद्रोही संगठनों से सीधे संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों सकते में हैं।

बलूच विद्रोहियों से सीधी बातचीत
चीन ने अब सीधा फैसला लिया है कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा के लिए बलूच विद्रोही संगठनों से बातचीत करेगा। बीते दिनों पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ जब बीजिंग दौरे पर पहुंचे, तो उन्हें दो टूक शब्दों में ये बात बता दी गई। पाकिस्तान, जो पहले से ही चीन के भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, इस अपमानजनक फैसले पर चुप्पी साध गया।
CPEC पर खतरा
60 अरब डॉलर की लागत वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से बलूच विद्रोहियों द्वारा लगातार हमलों के चलते प्रोजेक्ट्स जैसे ग्वादर पोर्ट और रेको दिक खनन कार्य रुक गए हैं। चीनी नागरिकों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं और चीन का आर्थिक नुकसान बढ़ता जा रहा है।
पाकिस्तानी सेना से टूटा भरोसा
चीन अब यह समझ गया है कि बलूचिस्तान पर असली पकड़ पाकिस्तानी सेना की नहीं, बल्कि स्थानीय विद्रोही संगठनों की है। सेना पर एक दशक तक भरोसा करने के बावजूद, जब सुरक्षा की गारंटी नहीं मिली, तो चीन ने खुद मोर्चा संभालने का फैसला लिया।

दुबई में पहले भी हुई थी बातचीत
बताया जा रहा है कि चीन ने इससे पहले 2019 में दुबई में कुछ बलूच संगठनों के साथ गुप्त बातचीत की थी। हालांकि, वो बातचीत सफल नहीं रही थी। कुछ संगठन बात करने को तैयार थे, लेकिन बाकी ने चीन की नीयत पर संदेह जताया और स्वायत्तता, संसाधनों में हिस्सेदारी और पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई पर रोक जैसी शर्तें रखीं।
चीन के सामने बड़ी चुनौती
अब चीन के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि वह अलग-अलग संगठनों से अलग-अलग बातचीत कैसे करेगा। इसके साथ ही वह आर्थिक गलियारे की सुरक्षा के लिए बलूचिस्तान में अपनी चौकियां भी बनाना चाहता है, लेकिन विद्रोही इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे उनके दमन का खतरा और बढ़ जाएगा।
खनिजों का खजाना और वैश्विक नजरें
बलूचिस्तान में करीब 6 लाख करोड़ रुपये की खनिज संपदा होने का अनुमान है, जिसमें तांबा, सोना और लीथियम शामिल हैं। चीन इन संसाधनों पर नजरें गड़ाए हुए है, तो वहीं अमेरिका भी खनिज भंडार को लेकर सक्रिय हो गया है। ऐसे में पाकिस्तान की स्थिति असहाय नजर आ रही है — न विरोध कर सकता है, न ही हालात पर नियंत्रण पा सकता है।—अगर आप चाहें, तो मैं इसका एक वीडियो स्क्रिप्ट या सोशल मीडिया पोस्ट वर्ज़न भी बना सकता हूँ।
